“हाई कोर्ट ने जुर्माना लगाया, प्रेम शंकर प्रसाद यादव ने चेक बाउंस किया”
एक कहावत है नेचर और सिग्नेचर नहीं बदलता है, इस कहावत को पूरी तरह से सिद्धार्थ करता हुआ बैकुंठपुर रजत विधायक प्रेम शंकर प्रसाद यादव।
गौरतलाप हो कि प्रेमशंकर यादव निर्वाचन को चुनौती देने वाली आज का पर काफी देर से जवाब दायर करने पर पटना उच्च न्यायालय ने रुपया 50000 का जुर्माना लगाया था, और न्यायालय ने इसी शर्त के साथ प्रतिवादी को एक मौका दिया था। विधायक पर चुनावी हलकान में आपराधिक मामले और संपत्ति की जानकारी छुपाने का आरोप है। भाजपा महासचिव मिथिलेश तिवारी इसी आधार पर उनके निर्वाचन को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। हाई कोर्ट ने चुनाव याचिका का पूरा रिकॉर्ड देखने के बाद पाया कि राजद विधायक ने मुकदमा में देरी करने की मंशा से जवाब समय पर दाखिल नहीं की है।
इसी वजह से माननीय न्यायमूर्ति श्री अरुण कुमार झा ने रजत विधायक प्रेम शंकर प्रसाद यादव पर ₹50000 का जुर्माना लगा दिया, और इसी जमाने को भरने के लिए रजत विधायक प्रेम शंकर यादव ने अपना चेक हाई कोर्ट में जमा कर दिया, जो चेक बाउंस होकर बैंक से वापस आ गया। बाद में रजत विधायक ने ₹50000 ऑनलाइन खाता में ट्रांसफर कर दिया, परंतु चेक सिग्नेचर मैच नहीं होने का वजह से वापस आने के बाद कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है। इस पूरे खबर में मुख्य बात यह है कि एक माननीय विधायक हाई कोर्ट में जमाने के रूप में दिए हुए चेक को बॉउंस कराता है। विधायक प्रेम शंकर प्रसाद यादव के चेक बाउंस करना पहले से आदत में आदत सुमार है, फर्क सिर्फ इतना है कि पहले आम जनता का पैसे लेकर और उनका चेक देकर चेक बाउंस कर देता था, और यह आपराधिक कांड वह हाई कोर्ट के साथ भी कर दिया।
विदित हो कि रजत विधायक प्रेम शंकर प्रसाद यादव पर चेक बाउंसिंग NI एक्ट 138 के आने को कैसे पहले से बिहार के कई जिलों के जिला अदालतों में चल रहे हैं, जिसका उदाहरण में एक चेक बाउंसिंग के केस का दरभंगा जिले के सीजीएम की अदालत में केस नंबर 1603/ 18 विजय यादव V/S प्रेम शंकर प्रसाद यादव लंबित है । इसी तरह पश्चिमी चंपारण के जिला अदालत में भी एक केस लंबित है, इस तरह बिहार के कई जिला अदालतों में राजद विधायक प्रेम शंकर प्रसाद यादव के विरुद्ध कई मुकदमे लंबी चल रहे हैं.। पटना हाई कोर्ट में अब सुनवाई की तारीख 18 मार्च लगाई गई है, देखते हैं क्या होता है? कहीं एक आपराधिक मुकदमा राजद विधायक प्रेम शंकर प्रसाद यादव के विरुद्ध करने का हाई कोर्ट का आदेश तो नहीं हो जाता है।